लेखनी कहानी -12-Jun-2024 कविता
*इश्क इज़हार हो चला*
हसीं राहों में कमसिन तन्हा तुम मिले थे उल्फत में तेरा दीदार हो चला ,
चुपके से तुझसे नज़रें मिली मोहल्ले की गलियों में ओर तुझसे प्यार हो चला।
हालात इसकदर हुस्नेनूर हम तेरे दीवाने सड़को पे रोशन जवाँ हो चले,
चाहत में प्यासी मेरी अँखियों से बहता समुन्दर अब तेरा इंतज़ार हो चला
महफ़िल सुहानी ढलती शाम को हुस्न नज़र दीवाने तेरे नाम लगा बैठे *कौशल
है खौफ का मंज़र फ़िज़ाओं में तुझपे यकीन कैसे करू अब इश्क इजहार हो चला ।
*के, के, कौशल*,
इन्दौर, मध्यप्रदेश
Varsha_Upadhyay
12-Jun-2024 05:08 PM
N one
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Anjali korde
12-Jun-2024 09:31 AM
V nice
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